Tuesday 28 August 2012

जय श्रीकृष्ण !

दुःखनाशिनी दुर्गास्त्तोत्रं

ॐ पारर्व्रह्मा स्वरूपां च वेड गर्भां जगन्मयीम् |
शरण्ये त्वामहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम् || १ ||
कामाख्यां कामदां श्यामां कामरूपां मनोरमाम् |
इश्वरीं त्वामहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम् ||
त्रिनेत्रां हास्य संयुक्तां सर्वालंकार भूषिताम् |
विजयां त्वामहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम् || ३ ||
व्रह्मादिभिः स्तूयमानां सिद्ध गंधर्व सेविताम् |
भवानीं त्वामहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम् ||
निशुंभ शुंभ मथनीं महिषासुर घातिनीम् |
दिव्यरुपामहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम् || ५ ||
विंशत्यर्धभुजां देवीं शुद्ध कांचन सन्निभाम् |
गौरी रुपामहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम् ||
त्रिशूलं खडगं चक्रं च वाणं शक्तिं परश्वधम् |
दधानां त्वामहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम् || ७ ||
जगन्मयीं महाविद्यां सृष्टिसंहार कारिणीम् |
सर्व दवमहं वन्दे दुर्गां दुर्गति नाशिनीम् ||
इदं तु कवचं पुण्यं महामंत्रं महाफलम् |
यः पठेन्मानवो नित्य मस्मद्भक्ति समन्वितः |
धनधान्यं प्रयच्छामि सकृदावर्त्तनेन तु || ९ ||

Friday 17 August 2012

या पीतासना पीतवस्त्रा  या पीताश्च मुकुटध्वजा,
या पीतांगी पीतभोज्य  वरदा या पीतकमलासना !
यो त्रिपुरा विन्धेश्वरी भगवती बुद्धिप्रदा मोक्षदा,
सा मां पातु रिपुसूदनि च वल्गा करोतु सदा मंगला !!